नई दिल्ली – भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है। ट्रंप सरकार की टैरिफ नीति को लेकर भारत ने अमेरिका के समक्ष सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट चेतावनी दी है—अगर अमेरिका ने अपने 10% बेसलाइन टैरिफ और प्रस्तावित 16% अतिरिक्त शुल्क को नहीं हटाया, तो भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर कुल 26% आयात शुल्क जारी रखने को विवश होगा।
दिल्ली में उच्चस्तरीय वार्ता
दिल्ली में चल रही इस वार्ता में अमेरिका की ओर से यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) के उप प्रमुख ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल शामिल है। भारत की ओर से वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बातचीत में हिस्सा ले रहे हैं।
भारतीय वार्ताकारों ने दो प्रमुख मांगे रखीं
1. अमेरिका तत्काल 10% बेसलाइन टैरिफ हटाए।
2. 9 जुलाई से लागू होने वाला 16% अतिरिक्त शुल्क भी रोका जाए।
भारत का रुख सख्त
भारत ने दो टूक शब्दों में कहा कि यदि अमेरिका इन टैरिफों को वापस नहीं लेता, तो भारत को भी अमेरिकी वस्तुओं पर कुल 26% आयात शुल्क लगाने का अधिकार है। यह कदम भारत की वैश्विक व्यापार नीति के तहत पूरी तरह वैध और रणनीतिक होगा।
पृष्ठभूमि : क्यों भड़का भारत?
अमेरिका ने पहले ही भारत के लिए व्यापारिक रियायतें, जैसे कि GSP (Generalized System of Preferences), समाप्त कर दी हैं।
अब अमेरिका अपने घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने के लिए नए टैरिफ लगा रहा है, जिससे भारत से निर्यात होने वाले स्टील, एल्यूमिनियम, कृषि उत्पाद और आईटी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
दोनों देशों को क्या होगा असर?
भारत में अमेरिकी उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे आयात घट सकता है।
अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा।
भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाज़ार तक पहुंच और मुश्किल हो सकती है।
समाधान की उम्मीद अभी बाकी
सूत्रों के अनुसार, वार्ता में दोनों पक्षों के बीच तनावपूर्ण लेकिन रचनात्मक माहौल बना हुआ है। अमेरिका को भारत के इस रुख का अंदाज़ा पहले से था, लेकिन अब भारत ने सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह आत्मनिर्भरता और व्यापार संतुलन के रास्ते पर कोई समझौता नहीं करेगा। अब देखना यह होगा कि क्या अमेरिका अपने टैरिफ निर्णयों पर पुनर्विचार करता है या यह व्यापार युद्ध और गहराता है।