अहमदाबाद विमान हादसे से पहले पायलट सुमित का आखिरी संदेश सामने आया है, जो ना सिर्फ भावुक कर देने वाला है, बल्कि हादसे की गंभीरता को भी उजागर करता है।
विमान के पायलट सुमित सभरवाल का एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भेजा गया अंतिम संदेश अब सामने आया है। 4-5 सेकेंड की इस आखिरी रेडियो कॉल में सुमित ने हिम्मत जुटाकर कहा -
> "मेडे, मेडे, मेडे... थ्रस्ट नहीं मिल रहा। पावर कम हो रही है, प्लेन उठ नहीं रहा। नहीं बचेंगे।"
यह शब्द न केवल उनके अनुभव और हालात की गंभीरता को दर्शाते हैं, बल्कि एक पेशेवर पायलट की आखिरी कोशिश भी जाहिर करते हैं कि कैसे उन्होंने अंतिम क्षणों में भी विमान और यात्रियों को बचाने की कोशिश की।
क्या है 'मेडे' सिग्नल?
"मेडे (Mayday)" एक अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन सिग्नल है, जो किसी भी उड़ान में जानलेवा स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है। जब पायलट यह शब्द तीन बार दोहराता है, तो इसका मतलब होता है कि विमान और उसमें सवार सभी लोग अत्यंत खतरे में हैं।
ब्लैक बॉक्स और CDR से खुलेंगे राज
शुक्रवार को जांच टीम को विमान का ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट डेटा रिकॉर्डर (CDR) मिल चुका है। इन दोनों उपकरणों की जांच से यह साफ हो सकेगा कि दुर्घटना से ठीक पहले तकनीकी तौर पर क्या हुआ, और क्या कारण रहे जिससे इंजन को पर्याप्त थ्रस्ट नहीं मिला।
समझिए क्या हो सकता है कारण
इंजन फेल होना या फ्यूल सप्लाई में बाधा
टेकऑफ के समय पर्याप्त पावर ना मिलना
तकनीकी खराबी या बर्ड हिट
पायलट की ओर से संभावित रद्दी फ़ीडबैक के बावजूद कोशिशें
परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़
इस हादसे में पायलट सुमित सभरवाल, अन्य चालक दल सदस्य और यात्री भी शामिल थे। उनके अंतिम शब्दों ने ना केवल हादसे की भयावहता को उजागर किया, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पायलट सुमित को उनके अंतिम संदेश के लिए वीरता और समर्पण का प्रतीक माना जा रहा है।
जैसे-जैसे हादसे की जांच आगे बढ़ रही है, उम्मीद की जा रही है कि ब्लैक बॉक्स की रिकॉर्डिंग और CDR की डिटेल्स से सच्चाई सामने आएगी। पायलट सुमित का आखिरी संदेश हमें याद दिलाता है कि विमान हादसे केवल तकनीकी घटनाएं नहीं होतीं — वे इनसानी जज्बात और कुर्बानी की भी कहानियां होती हैं।