राम नगरी अयोध्या में जनवरी 2024 में जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पावन अवसर मनाया जा रहा था, तब समूची नगरी दीपों की रोशनी में नहाई हुई थी। भक्ति और आस्था से ओत-प्रोत वातावरण में लाखों श्रद्धालु रामलला के दर्शन और प्रसाद पाने की इच्छा से उमड़ पड़े थे। लेकिन इस श्रद्धा के माहौल में एक शातिर ठग ने विश्वास को ही निशाना बना लिया।
मामला राम मंदिर के प्रसाद वितरण के नाम पर ऑनलाइन ठगी से जुड़ा है, जिसमें एक आरोपी ने 6 लाख 30 हजार से अधिक भक्तों को निशाना बनाते हुए करीब 3.85 करोड़ रुपये हड़प लिए। शुरुआत मात्र 51 रुपये के प्रसाद बुकिंग ऑफर से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह एक बड़े साइबर फ्रॉड का रूप ले चुका था।
कैसे रची गई श्रद्धा को छलने की साजिश?
आरोपी की पहचान आशीष नामक युवक के रूप में हुई है, जिसने अत्यंत चतुराई से एक वेबसाइट, सोशल मीडिया प्रचार अभियान और ऑनलाइन पेमेंट गेटवे के जरिए लोगों को झांसे में लिया। वेबसाइट पर दावा किया गया कि “रामलला का प्रसाद सीधे अयोध्या से आपके घर तक भेजा जाएगा,” वह भी मात्र 51 रुपये में।
लोगों ने श्रद्धा और विश्वास से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में इस सेवा के लिए भुगतान किया। लेकिन न तो किसी को प्रसाद मिला, न कोई ट्रैकिंग अपडेट। जब शिकायतें बढ़ीं और सोशल मीडिया पर मामला सामने आया, तो इसकी हकीकत उजागर हुई।
क्या कहती है पुलिस?
उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पाया गया है कि ठगी देशभर से लोगों के साथ की गई है, और पैसे एक जाली पेमेंट गेटवे के जरिए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए गए।
जनता की भावनाओं से खिलवाड़
यह ठगी सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा के साथ धोखा है। राम मंदिर जैसे आध्यात्मिक और पवित्र स्थान के नाम का इस्तेमाल कर लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, समाज के लिए शर्मनाक और खतरनाक संकेत है।
आगे क्या?
पुलिस अब वेबसाइट और पेमेंट ट्रेल को खंगाल रही है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही आशीष को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साथ ही, सरकार और मंदिर प्रशासन से भी यह उम्मीद की जा रही है कि वे प्रसाद वितरण जैसी सेवाओं के लिए आधिकारिक व्यवस्था करें, ताकि कोई भविष्य में फिर से श्रद्धा का बाज़ार न बना सके।