भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर की बात हो, यूक्रेन और रूस का युद्ध हो या फिर इज़रायल और हमास के बीच छिड़ी जंग—डोनाल्ड ट्रंप हर बार खुद को वैश्विक समाधानकर्ता के रूप में प्रस्तुत करते रहे।
उन्होंने बार-बार दुनिया को यह जताने की कोशिश की कि अमेरिका ही शांति का असली संरक्षक है और वे स्वयं उस व्यवस्था के "मुखिया" हैं, जो हर अंतरराष्ट्रीय संकट का हल निकाल सकती है।
लेकिन अब उन्हीं के अपने देश अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हालात ऐसे बन चुके हैं जिन्हें सीधे-सीधे 'गृह युद्ध' कहा जा सकता है।
अवैध प्रवासियों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष, आंसू गैस, पेट्रोल बम, और दुकानों में लूटपाट ने अमेरिका की आंतरिक शांति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि राष्ट्रपति ट्रंप को 2000 नेशनल गार्ड्स को सड़कों पर तैनात करना पड़ा, ताकि हालात पर नियंत्रण पाया जा सके।
यह पूरी घटना यह सवाल उठाती है कि जो व्यक्ति पूरी दुनिया को शांति का पाठ पढ़ा रहा था, क्या वह अपने ही देश को संभालने में असमर्थ नहीं हो गया है?