उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से एक अनोखी और दिल छू लेने वाली शादी की कहानी सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जमकर सुर्खियां बटोरी हैं। यह विवाह भव्य मंडप, शहनाई या रिश्तेदारों की भीड़ के बिना, केवल पांच मिनट में संपन्न हो गया — और वो भी एक मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर।
दिल्ली की एक निजी कंपनी में कार्यरत युवक और युवती, साथ काम करते-करते एक-दूसरे के करीब आए। कार्यालय में शुरू हुई यह मित्रता जल्द ही प्रेम संबंध में बदल गई। दोनों ने तय किया कि वे अपने रिश्ते को एक नया नाम देना चाहते हैं, लेकिन बिना किसी तामझाम के। फिर उन्होंने फैसला किया कि वे सीधे भगवान को साक्षी मानकर शादी करेंगे।
इसी सोच के साथ दोनों इटावा पहुंचे और वहां के एक मंदिर में सिर्फ एक-दूसरे को माला पहनाकर वैवाहिक बंधन में बंध गए। न फेरे हुए, न सात वचनों की औपचारिकता, न कोई पंडित, न रिश्तेदार — केवल सच्चा प्रेम, आपसी सहमति और ईश्वर की उपस्थिति।
इस विवाह के गवाह बने कुछ स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी भी हैरान रह गए कि आज के समय में जब शादियों को दिखावे और खर्चे का प्रतीक माना जाता है, तब एक जोड़ा इतने सादगीपूर्ण तरीके से जीवनभर साथ रहने का संकल्प ले रहा है।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, "युवक-युवती आए, भगवान के सामने एक-दूसरे को माला पहनाई और कहा कि अब हम पति-पत्नी हैं। उनका विश्वास और समर्पण देखकर हम भी भावुक हो गए।"
अब यह शादी पूरे इटावा में चर्चा का विषय बनी हुई है। लोगों का कहना है कि यह शादी एक मिसाल है उन युवाओं के लिए जो प्रेम को दिखावे से नहीं, बल्कि सच्चे रिश्ते और आत्मीयता से जोड़ते हैं।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि विवाह केवल रस्मों और रीति-रिवाजों का नहीं, बल्कि दो आत्माओं के एक होने का नाम है — और जब दिल मिल जाएं, तो बाकी सब गौण हो जाता है।