रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने चार अलग-अलग परमाणु स्थलों — मारिवन, लाविसन-शियान, वरमिन और टर्कुज-अबाद — पर गोपनीय परीक्षण और विस्फोट किए हैं। इन विस्फोटों को ईरान की परमाणु क्षमता को अंतिम रूप देने की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
ईरान की चालाकी, दुनिया की बेख़बरी
ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय से परमाणु समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। लेकिन इसी बातचीत के समानांतर, ईरान ने IAEA की नज़रों से बचते हुए तकनीकी परीक्षण कर डाले। इससे साफ हो रहा है कि ईरान मात्र बातचीत तक सीमित नहीं, बल्कि वो सैन्य तैयारी के मोर्चे पर भी सक्रिय है।
तनाव की आशंका : क्या बिगड़ेंगे अंतरराष्ट्रीय समीकरण?
IAEA की रिपोर्ट के सामने आने के बाद अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों में चिंता बढ़ गई है। माना जा रहा है कि इससे पश्चिम एशिया में अस्थिरता और बढ़ सकती है। अमेरिका और ईरान के बीच पहले से ही खिंचाव भरा माहौल अब और तनावपूर्ण हो सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो अगर ये परीक्षण वाकई परमाणु हथियार से जुड़े साबित होते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र में ईरान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग तेज हो सकती है।
आने वाले दिन होंगे अहम
दुनिया की निगाहें अब IAEA और अमेरिका की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
क्या ईरान को इस कदम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ेगा?
या फिर यह एक नई परमाणु दौड़ की शुरुआत है?