मध्य पूर्व में बढ़ते इज़रायल-ईरान सैन्य संघर्ष के बीच अब पाकिस्तान ने खुलकर ईरान का समर्थन किया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने रविवार को ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेज़ेश्कियान से टेलीफोन पर बातचीत की और इज़रायल द्वारा ईरानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर किए गए हालिया हमले की कड़ी निंदा की।
प्रधानमंत्री शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर अपने बयान में कहा,
> "यह हमला ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का पूर्ण उल्लंघन है।"
उन्होंने इस हमले को न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया, बल्कि इसे पूरे मुस्लिम जगत का अपमान करार दिया।
फोन वार्ता के मुख्य बिंदु
शहबाज़ शरीफ ने ईरानी राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान को क्षेत्रीय एकता और मुस्लिम देशों की एकजुटता का संदेश दिया।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान, किसी भी आक्रामक सैन्य कार्रवाई के खिलाफ है, जो संप्रभुता का हनन करती है।
दोनों नेताओं ने मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत पर बल दिया।
क्षेत्रीय राजनीति में नई हलचल
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि अब पाकिस्तान खुलकर ईरान के पक्ष में खड़ा हो रहा है, जिससे इस संघर्ष में एक नया राजनयिक मोड़ आ सकता है। इज़रायल की आक्रामक नीति की जहां अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश पर्दे के पीछे से समर्थन कर रहे हैं, वहीं अब पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न मुस्लिम देश की खुली निंदा भविष्य की भू-राजनीतिक दिशा को बदल सकती है।
मुस्लिम जगत में एकजुटता की कोशिश?
विशेषज्ञ मानते हैं कि शहबाज़ शरीफ का यह कदम न सिर्फ ईरान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करेगा, बल्कि यह पूरे इस्लामी दुनिया को एक मंच पर लाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। ऐसे समय में जब सऊदी अरब और तुर्की जैसे बड़े मुस्लिम देश स्थिति को लेकर सतर्क हैं, पाकिस्तान का यह खुला समर्थन बहुत महत्वपूर्ण संकेत है।
इज़रायल और ईरान के बीच टकराव एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहा है, और अब पाकिस्तान जैसे बड़े इस्लामी देश का हस्तक्षेप इस पूरे विवाद को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की बहस और ध्रुवीकरण की ओर ले जा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में अन्य मुस्लिम राष्ट्र क्या रुख अपनाते हैं — क्या यह एक नए इस्लामी गठबंधन की शुरुआत है?