इजराइल-ईरान के बीच छिड़ी जंग अब अंतरराष्ट्रीय रंग लेती जा रही है। जहां एक ओर पश्चिमी देशों की नजरें इस युद्ध पर टिकी हुई हैं, वहीं अब एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है – चीन की संभावित एंट्री।
सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तेहरान एयरपोर्ट पर एक चीनी कार्गो विमान की गुपचुप लैंडिंग हुई है। हैरानी की बात यह है कि इस विमान ने अपना ट्रांसपोंडर (रडार पहचान यंत्र) बंद रखा था, जिससे यह रडार की पकड़ में नहीं आ सका और छिपकर उड़ान भरता रहा।
क्या ले कर आया था चीनी प्लेन?
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह कार्गो विमान भारी मात्रा में सैन्य साजो-सामान और हथियारों की खेप लेकर आया था, जिसे सीधे तौर पर ईरानी सेना को सौंपा गया है। हालांकि चीन या ईरान की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन गोपनीय खुफिया सूत्रों के हवाले से यह जानकारी लीक हो रही है।
चीन की चुप्पी और रणनीति
बीते वर्षों में चीन और ईरान के रिश्तों में जबरदस्त गर्माहट देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच 25 साल की रणनीतिक साझेदारी समझौता पहले ही हो चुका है। ऐसे में चीन द्वारा ईरान की सैन्य मदद करना इस गठजोड़ का ही परिणाम माना जा रहा है। विश्लेषकों के अनुसार, चीन खुले तौर पर युद्ध में शामिल नहीं होगा, लेकिन बैकडोर सपोर्ट के जरिए ईरान को ताकत देने की रणनीति पर काम कर सकता है।
इजराइल की प्रतिक्रिया क्या होगी?
इजराइल पहले ही यह चेतावनी दे चुका है कि यदि कोई देश ईरान को हथियार या तकनीकी मदद देगा, तो उसे "शत्रु राष्ट्र" के रूप में देखा जाएगा। ऐसे में चीन की इस कथित एंट्री से तनाव और बढ़ सकता है, और यह मध्य-पूर्व में एक बड़े युद्ध की आहट मानी जा रही है।
तेहरान में चीनी कार्गो प्लेन की लैंडिंग केवल एक साधारण घटना नहीं, बल्कि भूराजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव हो सकता है। अगर यह पुष्टि हो जाती है कि चीन ने ईरान को हथियार भेजे हैं, तो यह युद्ध एक क्षेत्रीय संघर्ष से बढ़कर वैश्विक शक्ति टकराव का रूप ले सकता है।